Saturday, October 27, 2007

बडे दिनों बाद...

लिखूं कुछ! खूबसूरत चेहरों के बारे में या फिर खूबसूरत दिलों के बारे में। क्या दोनों एक दूसरे के पूरक नहीं होते हैं? अभी तक तो यही ही पाया है, हाँ अगर आप खूबसूरती को उसी तरह समझते हों, जिस तरह मैं या कई और सारे लोग, कवि और लेखक समझते आये हैं। दिल खूबसूरत हो तो चेहरे पर भी वही नक्श उभार देता है। चेहरा खूबसूरत हो तो दिल भी थोडा खूबसूरत हो ही जाता है। यह भी हो सकता है कि मेरी खूबसूरती की परिभाषा कुछ अलग हो और इसी सिद्धांत के अनुसार हो।
जितनी खूबसूरती सादगी में पायी है, उतनी कहीं और नहीं पायी। किसी भी चीज़ में, घरों में, फूलों में, बागों में, नज़ारों में, आदमियों में , औरतों में, हर कहीं। जो जितना सादा और प्राकृतिक है, उतना ही खूबसूरत है। प्रकृति ने जो कुछ भी बनाया है, इतना खूबसूरत बनाया है कि कुछ लोगों को, कम से कम हम जैसे लोगों को उससे ज़्यादा खूबसूरत कुछ लग ही नहीं सकता।
ऐसा है फिर। बडे दिनों के बाद कैसी बकवास निकल कर सामने आई है। कुछ आजाद महसूस कर रहा हूँ एक अच्छी शाम बिताने के बाद। और कुछ ध्यान में भी नहीं आ रहा लिखने लायक। ऐसा तो होगा नहीं कि कुछ लिखने को हो ही ना, फिर दिमाग काम क्यों नहीं कर पा रहा? शायद हमारा काम ही ऐसा है कि दिमाग के लिए यह सब बकवास सोचने के लिए जगह ही नहीं बचती। हाँ, आप जबरदस्ती करिये तो निहायत घटिया और वाहियात किस्म की बकवास निकल कर बाहर आती है।
कुछ दिनों से पुराने गुजरे दिनों को याद कर कर के शामें गुजार रहा हूँ। अच्छा लगता है, लेकिन फिर बुरा भी लगता है कि वो दिन वापस क्यों नहीं आ सकते। आ तो नहीं ही सकते। जो हो नहीं सकता, मन वैसा ही क्यों चाहता है। जो हो सकता है, सामने होता दीख रहा हो, वो क्यों नहीं चाह पाता मन। कई सारे क्यों हैं, जिनका कोई जवाब नहीं होता, यह भी उनमें से एक 'क्यों' होगा।
तस्वीरों के सहारे उन लम्हों को वापस जीने की कोशिश सी होती रहती है। कुछ हल नहीं निकलता। बस होता यही है, कि अंत में यह सोचना पङता है कि अगर एक ही जगह सब साथ में होते तो कितने अच्छे दिन कटते।
जैसे आप अपने ना मिल सकने वाले प्यार को उम्र भर तलाश करते हैं, हर चीज़ में, हर जगह में ,हर लम्हे में, आप उस प्यार का अंश ढूँढते रहते हैं। कहीं भी उसको ना पा कर ऐसा लगने लगता है की दुनिया में प्यार बचा ही नहीं आपके लिए। जबकि प्यार आपके आस ही पास टहलकदमी कर रहा होता है।
और इस तरह से बात घूम फिर कर प्यार पर आ गयी है। इतनी जरुरी चीज़ है प्यार एक ज़िंदगी में। हाँ। नहीं। किसके पास मिलेगा जवाब इस सवाल के पास। खुद के पास। लेकिन खुद तो अभी प्यार ही ढूंढ रहा है। ढूँढते ढूँढते ही मिलेगा जवाब भी।

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